खास बात है कि ये अधिकारी सीआरपीएफ के डीजी रहे हैं और इनके पास नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करने का लंबा अनुभव है। उनका सबसे चर्चित कार्यकाल तमिलनाडु पुलिस के विशेष कार्य बल के प्रमुख के रूप में रहा था, जब 2004 में कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को मौत के घाट उतारा गया।
नक्सलवाद से निपटने का है खास अनुभव
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक पद से रिटायर होने के बाद उन्हें गृह मंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार (एलडब्ल्यूई) के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उन्होंने हैदराबाद में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। अब एक बार फिर के. विजय कुमार को केंद्रीय गृह मंत्रालय में सलाहकार नियुक्त किया गया है। जब वे सीआरपीएफ के डीजी थे, तो उस वक्त नक्सलवाद प्रभावित इलाकों खासतौर से छत्तीसगढ़ और झारखंड में कई बड़े ऑपरेशन चलाए गए थे।
नक्सलियों के मददगारों को ढूंढेंगे
जिस तरह कश्मीर में आतंकियों और उनके मददगारों को ढूंढ-ढूंढ कर बाहर निकाला जा रहा है, अब उसी तर्ज पर नक्सलवाद का खात्मा किया जाएगा। सुरक्षा बलों के अधिकारियों के अनुसार, शनिवार और रविवार को के. विजय कुमार ने बीजापुर, सुकमा और जगदलपुर में लंबी बैठकें की हैं। ऐसी संभावना है कि अब कई राज्यों में नक्सलियों पर एक साथ वार कर दिया जाए।
अभी तक यह देखने में मिलता है कि सुरक्षा बलों पर हमला कर नक्सली जंगल में छिप जाते हैं। उनकी तलाश में सुरक्षा बल ऑपरेशन शुरु करते हैं, लेकिन यह कार्रवाई उसी वक्त न होकर कई दिनों बाद की जाती है।
ऐसे में नक्सली आसानी से अपना ठिकाना बदल लेते हैं। अब यह होगा कि जंगल के अंतिम सिरे से भी नक्सलियों को खोज निकाला जाएगा। नक्सलवाद के खिलाफ शुरु हो रहे इस ऑपरेशन में विभिन्न अर्धसैनिक बलों की करीब सौ बटालियन हिस्सा लेंगी।साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय, आईबी और सीआरपीएफ की कोबरा इकाई भी विशेष ऑपरेशन में भाग लेंगी।
नक्सलवाद को खत्म कर ही लेंगे दम
एनआईए और ईडी की नजर
इसके लिए कई तरह के नए उपकरण जैसे दस किलो से अधिक वजन वाला ड्रोन, रात में काम करने वाले सर्विलांस कैमरे और खास किस्म के उपकरण इस्तेमाल में लाए जाएंगे।
देश में वामपंथी उग्रवाद की कोई जगह नहीं : शाह
वामपंथी उग्रवाद पर मोदी सरकार ने जिस तरह नकेल कसी है, यह उसी का नतीजा है कि आज वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं कम हो रही हैं। साल 2009 में ऐसी 2,258 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि 2018 में इनकी संख्या 833 है।